कोरोना काल में बेरोजगार हो जाएंगे गेस्ट फैकल्टी
मेनिट : पांच सेमेस्टर पढ़ा चुकी कांट्रेक्ट फैकल्टी को किया बाहर
वर्षों से गेस्ट फैकल्टी के रूप पढ़ा रहे टीचरों ने किया विरोध
भोपाल
मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) में गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। वर्षों से एक्सटेंशन लेकर पढ़ा रहे गेस्ट फैकल्टी को पांच सेमेस्टर का नियम लगाकर बाहर कर दिया गया है। इसके पहले गेस्ट फैकल्टी हर छह माह में एक्सटेंशन लेकर अगले छह माह के लिए नियुक्त हो जाते थे। यह नियम पहले से है, लेकिन इसे पहली बार पूर्ण रूप से लागू किया गया है। इससे कोरोना काल में वे बेरोजगार हो जाएंगे। क्योंकि देशभर के संस्थानों में फैकल्टी की नियुक्तियां हो चुकी है। इससे उन्हें अब नियुक्तियां मिलना मुश्किल हो गया है। इससे उन्हें करीब एक साल तक बिना रोजगार के अपना गुजरबसर करना होगा।
मेनिट में गेस्ट फैकल्टी सभी विभागों में रेगुलर टीचरों की कमी है। इस कमी की पूर्ति मेनिट प्रशासन हर छह माह में गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति कर करता है। यह सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है। चूंकि गेस्ट फैकल्टी को लगातार नहीं रखा जा सकता है, इसलिए हर छह माह में नया विज्ञापन निकालकर नई नियुक्ति की जाती है। अभी तक नियुक्ति भले ही नई होती थी, लेकिन पुरानी गेस्ट फैकल्टी को ही एक्सटेंशन देकर अगले छह महीने के लिए नियुक्त कर दिया जाता था।
हाल ही में मैनिट द्वारा एक विज्ञापन निकालकर गेस्ट फैकल्टी के इंटरव्यू भी ले लिए गए हैं। इसमें यह नियम लगाया गया है कि जिन फैकल्टी ने पांच सेमेस्टर तक लगातार पढ़ाए हैं, उन्हें दोबारा नहीं रखा जाएगा। इसमें जो टीचर अपने रिपीट होने का इंतजार कर रहे थे, वह बाहर हो गए हैं। गेस्ट फैकल्टी का आरोप है कि पहली बार ऐसा कोई नियम लागू किया गया है। उनका कहना है कि यदि यह नियम पहले से है तो इसके पहले वाली गेस्ट फैकल्टी की नियुक्तियों में क्यों नहीं लागू किया गया है। जबकि प्रशासन का कहना है कि यह नियम पहले से है और हर बार लागू होता है।
इनका कहना है
गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति विभागों की मांग के अनुसार होती है। हर बार की तरह इस बार भी शासन के नियमों के अनुसार नियुक्तियां हुई हैं। राज्य शासन के नियमों के अनुसार पांच सेमेस्टर पढ़ा चुकी फैकल्टी को दोबारा नहीं रखा जा सकता है, इसलिए उनकी जगह नई नियुक्तियां की गई हैं।
डॉ. एनडी मित्तल, रजिस्ट्रार, मैनिट
पाठको की राय